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Mother's Day Spl: मां की इच्छा पूरी करने को बेटों ने बनवाया था ये ताजमहल

संगमरमरी ताजमहल को शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज के लिए बनवाया था, यह सब जानते हैं। इसी आगरा में बेटों ने अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए भी एक ताजमहल बनवा दिया। आगरा में दो ताजमहल है। एक शहंशाह ने अपनी बेगम के प्यार बनवाया, तो दूसरा मां की इच्छा पूरी करने को बच्चों ने बनवाया। इसे लाल ताज कहते हैं। इस दूसरे ताजमहल को भारत में पहला इंग्लिश मैन (यूरोपियन) मकबरे का खिताब हासिल है।
नहीं लगता कोई टि‍कट, फि‍र भी नहीं आते पर्यटक

- आगरा में दीवानी चौराहे के पास स्थित रोमन कैथलिक कब्रिस्तान के अंदर मौजूद लाल ताजमहल है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) इसकी देखभाल करता है।
- यहां आने का कोई टिकट नहीं है, लेकिन फिर भी यहां पर्यटक कम आते हैं। 
- ‘तवारीख-ए-आगरा’पुस्तक के लेखक राजकिशोर राजे लिखते हैं कि इस कब्रिस्तान में भव्य मकबरा जॉन विलियम हैसिंग नामक डच का है। यह देखने में ताजमहल की लाल पत्थर से बनी अनुकृति प्रतीत होती है।
- 1799 में आगरा में अपने कब्जे के दौरान दौलत राव सिंधिया ने जॉन विलियम हैसिंग को आगरा किले का किलेदार नियुक्त किया था।
- जॉन आगरा के ताजमहल को देखकर प्रभावित था और उसकी इच्छा थी की मरने के बाद उसे भी ताजमहल जैसी इमारत के नीचे दफन किया जाय।
- 21 जुलाई 1803 को जान की मृत्यु के बाद उसे इस जगह दफन कर दिया गया। जॉन के दफन होने के बाद उसकी पत्नी एलिस ने अपने बच्चों से मकबरा बनवाने को कहा।
- मां के प्यार को देखते हुए उसके पुत्रों ने अपने पिता की कब्र पर हूबहू ताजमहल जैसी छोटी इमारत बनवाई।
पहचान को मोहताज मकबरा
- इतिहासकार राज किशोर के अनुसार शाहजहां ने मुमताज के लिए ताजमहल बनवाया, उसकी खूबसूरती लाजवाब है, लेकिन मां और बेटों के प्यार और बेटों की हिम्मत की दास्तान बयान करने वाला यह मकबरा अब तक पहचान को मोहताज है।
- एलिस के बेटों का नाम तो इतिहास में भी नहीं मिलता, लेकिन असल में यह स्मारक अपने आप में मिसाल है। यहां क्रिश्चन आते हैं और मोबत्तियां जलाते हैं। अगर इस स्मारक की सही प्रसिद्धि हो तो यूरोपियन पर्यटक समेत ज्यादातर विदेशी इसे देखने जरूर आएंगे।

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