Mother's day spl: वो 43 साल तक पुरुष बनकर रही, ताकि बेटी भूखी न सोए
जब सीसा छह माह की गर्भवती थी, तभी पति की मृत्यु हो गई। बेटी जन्मी तो परिवार का दबाव आया-दोबारा शादी कर लो। सीसा ने इनकार कर दिया। कहा- ऐसा कौन होगा जो मेरी बेटी को अपनी बेटी मानकर पालेगा। समय के साथ-साथ सीसा के घर की हालत बिगड़ती चली गई। औरत का लिबास छोड़ पुरुष का वेष धर लिया। सिर मुंडवा लिया ताकि लोग भी इन्हें पहचान न पाएं। अब बन रही है फिल्म...
सीसा 43 साल तक यूं ही घर से निकलती, बूट पॉलिश-मजदूरी करती। सीसा की कहानी जब सामने आई तो पूरा मिस्र हक्का-बक्का रह गया। सीसा को मिस्र के राष्ट्रपति ने सार्वजनिक समारोह में सम्मानित भी किया है। सीसा पर अब फिल्म भी बन रही है।
मां ने हमारे लिए क्या-क्या किया था और हमने...
#1. पत्नी लंबे समय से कह रही है कि मां के कान की पुरानी मशीन खराब हो गई है। नई ला दो। मैं यह हिसाब लगाकर बैठा हूं कि इस महीने के बजट में तो नहीं आ पाएगी।
जबकि मेरी आंखें यह सोचकर आज भी नम हो जाती हैं कि मेरे पांचवें जन्म दिन पर मां ने अपनी अंगूठी बेच दी थी ताकि मेरी नई साइकिल की जिद पूरी हो सके।
#2. मां को कम दिखता है। लेकिन फिल्मों का शौक है। फिल्म के लिए कहती हैं तो बोल देता हूं रहने दो मां- क्या करोगी सिनेमाहॉल जाकर। आंखों पर जोर पड़ेगा।
जबकि मुझे अच्छे से याद है जब मैं 11 साल था तो भाई के साथ मां हमें 9 किमी दूर सर्कस दिखाने ले गई थी, क्योंकि मुझे हाथी बहुत पसंद था।
#3. मां कमजोर होती जा रही है। उम्र बढ़ने के साथ उसे अच्छा खाने की जरूरत है लेकिन वो खुद से कुछ खाती नहीं। ध्यान ही नहीं रहता कि उसकी पसंद का ही कुछ बनवा दूं।
जबकि मैं जब 5 साल का था तो अंडरवेट था। डॉक्टर ने खूब खिलाने को कहा था। मां खाने का एक-एक निवाला लेकर पीछे भागती थी। कहती थी लो अब भालू का निवाला।
#4. मां को डायबिटीज है। चाहती है कि रोज सुबह मेरे साथ ही वॉक पर जाए। लेकिन मैं तेज चलता हूं और वो धीमे। जल्दी वापस आकर बच्चों को स्कूल भी तो छोड़ना रहता है।
जबकि मैं पहली बार जब अपने पैरों पर चला था तो मां ने उसका भी फोटो खींच कर रखा है। अक्सर देखकर मुस्कुरा देती है और कहती है कि देर से चलना सीखा था तूने।
जबकि मैं पहली बार जब अपने पैरों पर चला था तो मां ने उसका भी फोटो खींच कर रखा है। अक्सर देखकर मुस्कुरा देती है और कहती है कि देर से चलना सीखा था तूने।
#5. मां लंबे समय से कह रही है बेटा मंदिर ले चल। लेकिन मैं टाल जाता हूं कि मां वहां लंबी लाइन होगी। भीड़ होगी। किसी और दिन चलते हैं।
जबकि पिता जी के बाहर नौकरी करने के कारण मां ने घंटों लाइन में लगकर मेरा हर काम करवाया है। 11वीं में नए स्कूल में एडमिशन के लिए तो वो ढाई घंटे लाइन में लगी थी।
#6. रोज सोचता हूं अब ऑफिस से वापस आकर मां के पास बैठूंगा, 10 मिनट अपने दिल की बात करूंगा। लेकिन रोज ही कोई न कोई दोस्त मिलने आ जाता है।
जबकि मैं जब छोटा था तो मां मुझसे घंटों मेरे टैडी बियर की झूठी कहानियां सुनती थी। बचकानी बातें और पहेलियों को सुलझाने का नाटक करती थी। ताकि मैं हंसू।
जबकि मैं जब छोटा था तो मां मुझसे घंटों मेरे टैडी बियर की झूठी कहानियां सुनती थी। बचकानी बातें और पहेलियों को सुलझाने का नाटक करती थी। ताकि मैं हंसू।
#7. मां लंबे समय से कह रही है बेटा मुझे भी शहर ले चलो। तुम्हारे साथ ही रहूंगी। लेकिन सोचता हूं कहां शहर में परेशान होगी। गांव में सुकून तो है।
जबकि मुझे आज भी याद है कि जब मैं कॉलेज में एडमिशन लेने की तैयारी में था तो मां ने खेतों में मेरे हिस्से का भी काम किया। ताकि मैं पढ़ाई के लिए समय निकालूं।
जबकि मुझे आज भी याद है कि जब मैं कॉलेज में एडमिशन लेने की तैयारी में था तो मां ने खेतों में मेरे हिस्से का भी काम किया। ताकि मैं पढ़ाई के लिए समय निकालूं।
#8. मैं बेहतर नौकरी की लालच में अमेरिका चला गया था। पिता तो हैं ही मां को देखने के लिए। ये सोचा कि मैं बड़ा हो रहा हूं। आगे बढ़ना है। लेकिन यह भूल गया कि वे भी बूढ़े हो रहे हैं।
जबकि मैं जब 10वीं बोर्ड की परीक्षा की तैयारी कर रहा था तो मां ने अपना प्रमोशन छोड़ दिया था, क्योंकि इसके लिए उसे शहर बदलना पड़ता। मेरी पढ़ाई डिस्टर्ब होती।
जबकि मैं जब 10वीं बोर्ड की परीक्षा की तैयारी कर रहा था तो मां ने अपना प्रमोशन छोड़ दिया था, क्योंकि इसके लिए उसे शहर बदलना पड़ता। मेरी पढ़ाई डिस्टर्ब होती।
#9. क्या करूं ऑफिस से समय नहीं मिल पा रहा है। मां को डॉक्टर के यहां चेकअप के लिए ले जाना है।
जबकि मुझे जब मलेरिया हो गया था, तेज बुखार था। मां चार रातें जगी थी। हर पल ध्यान रखा था। सेहत के लिए सबसे जरूरी नींद छोड़कर। ताकि मैं सोता रहूं।
जबकि मुझे जब मलेरिया हो गया था, तेज बुखार था। मां चार रातें जगी थी। हर पल ध्यान रखा था। सेहत के लिए सबसे जरूरी नींद छोड़कर। ताकि मैं सोता रहूं।
#10. पिछले तीन साल से सोच रहा हूं, मां को मौसी से मिलवा लाऊं, लेकिन व्यस्त इतना हूं कि कभी इलाहाबाद का प्लान ही नहीं बना पाता हूं।
जबकि मैं जब मां के पेट में था, संसार में आया भी नहीं था तभी मां ने पूरी प्लानिंग कर ली थी कि मैं क्या पहनूंगा, कहां पढ़ूंगा, कैसे रहूंगा।
जबकि मैं जब मां के पेट में था, संसार में आया भी नहीं था तभी मां ने पूरी प्लानिंग कर ली थी कि मैं क्या पहनूंगा, कहां पढ़ूंगा, कैसे रहूंगा।
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