भारत समेत 100 देशों में सबसे बड़ा साइबर अटैक; 10 Q&A में समझें पूरा मामला
भारत समेत दुनियाभर के 100 देशों में इतिहास का सबसे बड़ा साइबर अटैक हुआ है। इसकी शुरुआत शुक्रवार को यूके की नेशनल हेल्थ सर्विस से हुई। यूके के कई हॉस्पिटल्स में कम्प्यूटर्स और फोन बंद हो गए। इसके बाद कई देशों में अस्पतालों, बड़ी कंपनियों और सरकारी दफ्तरों की वेबसाइट्स पर अटैक हुआ। इसे रैनसमवेयर अटैक कहा जा रहा है। यह ऐसा वायरस है जिससे डाटा लॉक हो जाता है। उसे अनलॉक करने के लिए हैकर्स बिटकॉइंस या डॉलर्स में रकम मांगते हैं। भारत में इस वायरस का असर आंध्र प्रदेश के पुलिस नेटवर्क पर पड़ा है। आंध्र पुलिस का 25% इंटरनेट नेटवर्क शनिवार सुबह ठप्प पड़ गया। 10 Q&A में समझें पूरा मामला...
1. भारत पर कितना असर?
A: भारत में आंध्र प्रदेश पुलिस डिपार्टमेंट के सिस्टम्स पर रैनसमवेयर अटैक का मामला सामने आया। चित्तूर, कृष्णा, गुंटूर, विशाखापट्टनम और श्रीकाकुलम जिलों में 18 पुलिस डिपार्टमेंट्स के कम्प्यूटर ठप्प पड़ गए। 25% सिस्टम्स पर काम नहीं हो सका। डीजीपी एन संबाशिव राव ने कहा कि विंडोज से चलने वाले स्टैंडअलोन कम्प्यूटर्स पर असर पड़ा। उन्हें एहतियात के लिए लॉग ऑफ कर दिया गया। Apple iOS पर चलने वाले सिस्टम सेफ हैं।
A: भारत में आंध्र प्रदेश पुलिस डिपार्टमेंट के सिस्टम्स पर रैनसमवेयर अटैक का मामला सामने आया। चित्तूर, कृष्णा, गुंटूर, विशाखापट्टनम और श्रीकाकुलम जिलों में 18 पुलिस डिपार्टमेंट्स के कम्प्यूटर ठप्प पड़ गए। 25% सिस्टम्स पर काम नहीं हो सका। डीजीपी एन संबाशिव राव ने कहा कि विंडोज से चलने वाले स्टैंडअलोन कम्प्यूटर्स पर असर पड़ा। उन्हें एहतियात के लिए लॉग ऑफ कर दिया गया। Apple iOS पर चलने वाले सिस्टम सेफ हैं।
2. साइबर अटैक किसने किया?
- एक सॉफ्टवेयर को 14 अप्रैल को एक ग्रुप 'शैडो ब्रोकर्स' ने बनाया और इसे ऑनलाइन डाल दिया। दावा किया गया कि अमेरिका की नेशनल सिक्युरिटी एजेंसी (NSA) से साइबर वेपन चोरी किया गया। हालांकि अभी तक ये साफ नहीं है कि क्या ग्रुप इसे और फैलाएगा?
- एक सॉफ्टवेयर को 14 अप्रैल को एक ग्रुप 'शैडो ब्रोकर्स' ने बनाया और इसे ऑनलाइन डाल दिया। दावा किया गया कि अमेरिका की नेशनल सिक्युरिटी एजेंसी (NSA) से साइबर वेपन चोरी किया गया। हालांकि अभी तक ये साफ नहीं है कि क्या ग्रुप इसे और फैलाएगा?
3. कैसे हुआ अटैक, क्या डिमांड कर रहे हैं हैकर्स?
- रैनसमवेयर एक तरह का सॉफ्टवेयर वायरस है। इसके कंप्यूटर में आते ही आप अपनी कोई भी फाइल का इस्तेमाल नहीं कर सकते। अगर आप दोबारा फाइल खोलना चाहेंगे तो आपको हैकर्स को 300 बिटकॉइन (करीब 3.25 करोड़ रुपए) चुकाने होंगे। पैसा तय वक्त में ही देना होगा। नहीं तो वायरस ईमेल के जरिए और फैल जाएगा।
- रैनसमवेयर एक तरह का सॉफ्टवेयर वायरस है। इसके कंप्यूटर में आते ही आप अपनी कोई भी फाइल का इस्तेमाल नहीं कर सकते। अगर आप दोबारा फाइल खोलना चाहेंगे तो आपको हैकर्स को 300 बिटकॉइन (करीब 3.25 करोड़ रुपए) चुकाने होंगे। पैसा तय वक्त में ही देना होगा। नहीं तो वायरस ईमेल के जरिए और फैल जाएगा।
4. क्या है ये वायरस?
- साइबर अटैक के लिए WannaCry या WannaCry डिक्रिप्टर का इस्तेमाल किया गया। ये माइक्रोसॉफ्ट विंडोज सिस्टम के लिए खतरा है। रैनसमवेयर तब ज्यादा असर करता है जब उसे आउटडेटेड सॉफ्टवेयर पर छोड़ा जाता है। माइक्रोसॉफ्ट की स्पोक्सपर्सन का कहना है कि हम हालात पर नजर रखे हुए हैं। जल्द ही कोई हल निकाल लिया जाएगा।
- साइबर अटैक के लिए WannaCry या WannaCry डिक्रिप्टर का इस्तेमाल किया गया। ये माइक्रोसॉफ्ट विंडोज सिस्टम के लिए खतरा है। रैनसमवेयर तब ज्यादा असर करता है जब उसे आउटडेटेड सॉफ्टवेयर पर छोड़ा जाता है। माइक्रोसॉफ्ट की स्पोक्सपर्सन का कहना है कि हम हालात पर नजर रखे हुए हैं। जल्द ही कोई हल निकाल लिया जाएगा।
5. कितने देशों पर असर?
- अमेरिका, फ्रांस, नॉर्वे और स्वीडन समेत 100 देशों पर साइबर हमला हुआ है। भारत में इसका असर पड़ा है। सबसे ज्यादा असर वाले देशों में यूके, रूस, ताइवान शामिल हैं।
- अमेरिका, फ्रांस, नॉर्वे और स्वीडन समेत 100 देशों पर साइबर हमला हुआ है। भारत में इसका असर पड़ा है। सबसे ज्यादा असर वाले देशों में यूके, रूस, ताइवान शामिल हैं।
6. अब तक का सबसे बड़ा साइबर अटैक क्यों?
- इससे पहले 2013 में याहू का डेटा चोरी हुआ था। करीब 1 अरब अकाउंट्स से डाटा चोरी किया गया था। लेकिन दुनिया के 100 देशों में इस तरह के साइबर अटैक का पहला मामला है। फिनलैंड की साइबर सिक्युरिटी कंपनी एफ-सिक्योर के चीफ रिसर्च अफसर माइको हाइपोनेन के मुताबिक, रैनसमवेयर इतिहास का सबसे बड़ा साइबर अटैक है।
- इससे पहले 2013 में याहू का डेटा चोरी हुआ था। करीब 1 अरब अकाउंट्स से डाटा चोरी किया गया था। लेकिन दुनिया के 100 देशों में इस तरह के साइबर अटैक का पहला मामला है। फिनलैंड की साइबर सिक्युरिटी कंपनी एफ-सिक्योर के चीफ रिसर्च अफसर माइको हाइपोनेन के मुताबिक, रैनसमवेयर इतिहास का सबसे बड़ा साइबर अटैक है।
7. सबसे ज्यादा असर कहां?
- ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) को सबसे पहले हैक किया गया। साइबर अटैक का सबसे ज्यादा असर इसी से जुड़े हॉस्पिटल्स पर पड़ा। कई हॉस्पिटल्स में कंप्यूटर्स और फोन बंद हो गए। गंभीर हालत वाले पेशेंट्स को दूसरे हॉस्पिटल्स में शिफ्ट करना पड़ा। NHS ने कहा है कि पेशेंट्स तभी हॉस्पिटल आएं, जब इमरजेंसी हो।
- ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) को सबसे पहले हैक किया गया। साइबर अटैक का सबसे ज्यादा असर इसी से जुड़े हॉस्पिटल्स पर पड़ा। कई हॉस्पिटल्स में कंप्यूटर्स और फोन बंद हो गए। गंभीर हालत वाले पेशेंट्स को दूसरे हॉस्पिटल्स में शिफ्ट करना पड़ा। NHS ने कहा है कि पेशेंट्स तभी हॉस्पिटल आएं, जब इमरजेंसी हो।
- डेली मेल यूके के मुताबिक, कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिखने वाले पॉपअप मैसेज में एक काउंटडाउन भी शो हो रहा है। इसमें फिरौती देने के लिए हैकर्स ने अगले शुक्रवार तक का वक्त दिया है।
8. कहां-कितना असर पड़ा?
-एक कंपनी ने कहा कि कुछ घंटों के अंदर दुनियाभर में 75 हजार अटैक होने की बात सामने आई। वहीं, ट्रैकर के मुताबिक, बीते 24 घंटों में 1 लाख सिस्टम पर असर पड़ा है।
- कास्पर्स्की लैब के सिक्युरिटी रिसर्चर्स का कहना है कि 100 देशों में 45 हजार से ज्यादा साइबर अटैक किए गए। इनमें भारत, ब्रिटेन, रूस, इटली, चीन, यूक्रेन और मिस्र शामिल हैं। वहीं, स्पेन की कई बड़ी टेलि-कम्युनिकेशन कंपनियां इनफेक्टेड हो गईं।
- कास्पर्स्की लैब के सिक्युरिटी रिसर्चर्स का कहना है कि 100 देशों में 45 हजार से ज्यादा साइबर अटैक किए गए। इनमें भारत, ब्रिटेन, रूस, इटली, चीन, यूक्रेन और मिस्र शामिल हैं। वहीं, स्पेन की कई बड़ी टेलि-कम्युनिकेशन कंपनियां इनफेक्टेड हो गईं।
9.क्या US की गलती 100 देशों पर भारी पड़ी?
- ऐसा माना जा रहा है। क्योंकि व्हिसलब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन ने यूएस की नेशनल सिक्युरिटी एजेंसी पर सवाल उठाए हैं। स्नोडेन ने कहा है कि वॉर्निंग्स के बावजूद NSA ने ऐसे खतरनाक टूल्स डेवलप किए जिनसे कई देशों के सॉफ्टवेयर निशाने पर आ सकते थे। आज हम इसकी कीमत चुका रहे हैं। NSA को इसकी खामियों को तभी बता देना चाहिए था, जब उसे इसका पता लगा। लेकिन उसने नुकसान होने तक इंतजार किया।
- दुनियाभर के साइबर सिक्युरिटी एक्सपर्ट्स और प्राइवेसी एडवोकेट्स का मानना है कि यूएस की साइबर सिक्युरिटी अप्रोच में खामियां हैं। वह अपने साइबर रिसोर्सेस को डिफेंस करने की बजाय ऑफेंस करने में लगा देता है।
- दुनियाभर के साइबर सिक्युरिटी एक्सपर्ट्स और प्राइवेसी एडवोकेट्स का मानना है कि यूएस की साइबर सिक्युरिटी अप्रोच में खामियां हैं। वह अपने साइबर रिसोर्सेस को डिफेंस करने की बजाय ऑफेंस करने में लगा देता है।
10. भारत में कितना खतरा?
- क्लाउड कंप्यूटिंग और साइबर सिक्युरिटी मामलों की एक्सपर्ट ऋतु माहेश्वरी ने बताया कि भारत में जितने बड़े सर्वर मौजूद हैं, वे हैकिंग प्रूफ नहीं है। हमारे यहां भी तभी हम जागते हैं, जब कोई बड़ा साइबर अटैक हो। हैकर्स के नए तरीकों का सॉल्यूशन ढूंढने में महीनों लग जाते हैं।
- क्लाउड कंप्यूटिंग और साइबर सिक्युरिटी मामलों की एक्सपर्ट ऋतु माहेश्वरी ने बताया कि भारत में जितने बड़े सर्वर मौजूद हैं, वे हैकिंग प्रूफ नहीं है। हमारे यहां भी तभी हम जागते हैं, जब कोई बड़ा साइबर अटैक हो। हैकर्स के नए तरीकों का सॉल्यूशन ढूंढने में महीनों लग जाते हैं।
क्या है बिटकॉइन?
- जिस तरह रुपए, डॉलर और यूरो खरीदे जाते हैं, उसी तरह बिटकॉइन की भी खरीद होती है। ऑनलाइन पेमेंट के अलावा इसको ट्रेडिशनल करंसी में भी बदला जाता है। बिटकॉइन की खरीद-बिक्री के लिए एक्सचेंज भी हैं, लेकिन उसका कोई ऑफिशियल शेप नहीं है।
- बिटकॉइन एक नई इनोवेटिव डिजिटल टेक्नोलॉजी या वर्चुअल करंसी है। 2008-2009 में सतोषी नाकामोतो नाम का सॉफ्टवेयर डेवलपर चलन में आया। कम्प्यूटर नेटवर्क के जरिए इस करंसी से बिना किसी मीडिएटर के ट्रांजैक्शन किया जा सकता है। इस करंसी को डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है।
बिटकॉइन की कितनी वैल्यू?
- भारत में एक बिटकॉइन 1,09,078 रुपए का है।
- यूएस में एक बिटकॉइन की कीमत 1710 डॉलर है।
- ब्रिटेन में एक बिटकॉइन 1337 पाउंड का है।
- भारत में एक बिटकॉइन 1,09,078 रुपए का है।
- यूएस में एक बिटकॉइन की कीमत 1710 डॉलर है।
- ब्रिटेन में एक बिटकॉइन 1337 पाउंड का है।
बिटकॉइन से खतरा क्यों?
- बिटकॉइन ब्लैकमनी, हवाला और टेररिस्ट एक्टिविटीज में ज्यादा इस्तेमाल किए जाने की वजह से खतरनाक है। भारत में आरबीआई समेत सभी देशों के रेग्युलेटरों ने इसे लीगल वैलिडिटी नहीं दी है।
- बिटकॉइन ब्लैकमनी, हवाला और टेररिस्ट एक्टिविटीज में ज्यादा इस्तेमाल किए जाने की वजह से खतरनाक है। भारत में आरबीआई समेत सभी देशों के रेग्युलेटरों ने इसे लीगल वैलिडिटी नहीं दी है।
कब-कब हुए बड़े साइबर अटैक?
1# याहू (2013): ये अब तक का सबसे बड़ा डाटा चोरी का मामला था। इस साइबर अटैक में करीब 1 अरब अकाउंट्स से डाटा चोरी किया गया।
2# ईबे (2014): 14.50 करोड़ यूजर्स को पासवर्ड चेंज करने को कहा गया था। साइबर अटैक में हैकर्स ने यूजर्स का पासवर्ड, नाम और डेट ऑफ बर्थ जैसा डाटा चोरी कर लिया था।
3# सोनी (2014):सोनी पिक्चर एंटरटेनमेंट पर हुए साइबर अटैक में 47 हजार इम्प्लॉई और एक्टर्स की प्राइवेट डिटेल्स लीक हो गई थीं।
4# यूएस सेंट्रल कमांड (2015): हैकर्स ने दावा किया कि सेंट्रल कमांड के यूट्यूब और ट्विटर के लिंक उन्होंने हैक कर लिए हैं। दावे को सच साबित करने के लिए कमांड का लोगो चेंज कर उसकी जगह एक नकाबपोश का चेहरा लगा दिया गया था।
5# एश्ले मेडिसन (2015): एडल्ट डेटिंग वेबसाइट को हैक करने के बाद हैकर्स ने इसके 3.7 करोड़ यूजर्स के नाम जाहिर करने की धमकी दी थी।
6# टॉक-टॉक (2015):करीब 1,57 हजार कस्टमर्स की पर्सनल डिटेल हैकर्स ने हासिल कर ली। 15,656 अकाउंट्स नंबर, सॉर्ट कोड और क्रेडिट कार्ड डिटेल चोरी कर ली।
7# माय स्पेस (2016): माना जाता है कि 36 करोड़ पासवर्ड और ई-मेल कुछ साल पहले चोरी कर लिए गए। इन्हें छिपे हुए इंटरनेट मार्केटप्लेस में प्लेस किया गया।
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